Followers

Saturday 24 November 2012

हुवे असहमत तो भले, क्यूँ जाते हो रीश-

 

सहमत होने पर हिले, जब हल्का सा शीश ।
हुवे असहमत तो भले, क्यूँ जाते हो रीश ?

क्यूँ जाते हो रीश, पटकते बम क्यूँ भाई ?
पटक रहे अति विकट, पड़े क्या उन्हें सुनाई ?

प्रकट करो निज भाव, कहो ना बुरा भला कुछ  ।
सीखो संयम धैर्य, गया ना चला कहीं कुछ ।
 


3 comments:

  1. प्रकट करो निज भाव, कहो ना बुरा भला कुछ ।
    सीखो संयम धैर्य, गया ना चला कहीं कुछ ।


    किसको देते सीख ,बने हुए सब ढीठ

    ReplyDelete
  2. उत्तम कविता

    ReplyDelete