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Saturday 12 May 2012

जियो जग छोड़ उदासी-

उदासीनता की तरफ, बढ़ते जाते पैर ।
रोको रविकर रोक लो,  करे खुदाई खैर ।   
करे खुदाई खैर, चले बनकर वैरागी ।
दुनिया से क्या वैर, भावना क्यूँकर जागी ।
दर्द हार गम जीत,  व्यथा छल आंसू हाँसी ।
जीवन के सब तत्व, जियो जग छोड़ उदासी ।। 

1 comment:

  1. उदासीनता की तरफ, बढ़ते जाते पैर ।
    रोको रविकर रोक लो, करे खुदाई खैर ।
    करे खुदाई खैर, चले बनकर वैरागी ।
    दुनिया से क्या वैर, भावना क्यूँकर जागी ।
    दर्द हार गम जीत, व्यथा छल आंसू हाँसी ।
    जीवन के सब तत्व, जियो जग छोड़ उदासी ।।
    रविकर पुंज स्वागतम

    सकारात्मक चिंतन स्वागतम .बढिया हताशा भगाऊ पोस्ट .

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